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J P Raghuwanshi

Tragedy

4  

J P Raghuwanshi

Tragedy

"महंगाई"

"महंगाई"

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अब तो सही न जायें रे,

इतनी बढ़ गई महंगाई।


कीमतें, आसमान चूम रई,

जोत्ते अब छोटी सी रह गई।

का पहने,का खायें रे,

इतनी बढ़ गई महंगाई।

अब तो सही न जायें रे,

इतनी------


पेट्रोल, डीजल महंगों हो गओं,

पानी जा साल धोखों दे गओं।

ऊपर से लग गओं तुषार रे,

इतनी बढ़ गई महंगाई।

अब तो सही न जायें रे,

इतनी------


घी शक्कर सब महंगे हो गयें,

बिआओ, बरातें दूभर हो गयें।

कैसे,बेटा-बेटी वा बिहाय रे,

इतनी बढ़ गई महंगाई।

अब तो सही न जायें,

इतनी --------


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