महिलाओं का सशक्तिकरण
महिलाओं का सशक्तिकरण
नारी की परिभाषा क्या?
नारी की अभिलाषा क्या?
ना द्वंद है ना स्वच्छंद है
ना आशा है ना निराशा है
गति के पद पर भर्ती हुई पिपासा है,
इस दुर्गम रास्ते पर चलना उसको आता है।
वह आंसुओं की धारा है परिभाषा है,
जो उसकी अंतर व्यथा ना समझे ...
उससे कैसा व्यवहार करें?
अपना माने या बेगाना ....
समझ उसे ना आता है।
जो पग पग पर उसके साथ चले
और नाता उससे गहरा हो...
दिल का हाल सुने उसका
और सच्चा हितैषी हो।
वही सच्चा जीवन साथी
और सच्चा रिश्ता कहलाता है।
जो औरत की परिभाषा ना समझे
वह कैसे सच्चा मित्र बने।
मां, बहन, पत्नी ,बेटी का
रिश्ता वह कैसे समझे।
जिस को सही डगर ना मिली खुद को
वह औरों को चिराग दिखाना क्या जाने।
वह औरत और औरत होने की
परिभाषा क्या जाने......
एक औरत क्या है ,
वह क्या जाने,
एक औरत क्या है,
वह क्या जाने...!
