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Garima Kanskar

Tragedy

3  

Garima Kanskar

Tragedy

महिला दिवस

महिला दिवस

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जब तक नारी ही

नारी की दुश्मन है

तब तक काहे का

कोई मनाये

महिला दिवस।


महिला ही महिला

को देती है बाँझ

होने का ताना

उसकी बेबसी को

बनाती है निशाना,

तब तक काहे का

कोई मनाये

महिला दिवस।


खुद महिला होकर

बेटे के लिये

बेटियों को

कोख में मारने

एक महिला ही महिला

को करती है मजबूर,

तब तक कोई क्यो

मनाये महिला दिवस।


एक महिला ही

दहेज की आग में झौक

देती है एक महिला को

तब तक कोई क्यो

मनाये महिला दिवस।


महिला ही महिला के

साथ नहीं

महिला ही महिला के

खिलाफ है,

तब तक नहीं मिलेगा

कोई सम्मान

होता आया है

होता रहेगा अपमान,

महिला को महिला

के साथ होना होगा

तब सही मायनों में

होगा महिला दिवस।



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