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Minal Aggarwal

Children

4  

Minal Aggarwal

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मेरी सहेली की जन्मदिन पार्टी

मेरी सहेली की जन्मदिन पार्टी

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घर से निकलते ही 

मुझे लगा कि 

कोई मेरा पीछा कर रहा है 

रास्ता सुनसान था 

मन में थोड़ा डर था 

मैं अकेली थी 

भीड़ छोड़ो 

मेरे सिवाय कोई दूसरा 

उस जगह पर था ही नहीं 

घर के साथ सटे खाली प्लॉट से 

गलियों से गुजरते हुए 

अपनी सबसे पक्की सहेली की 

जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने के लिए 

अपने घर के पीछे कॉलोनी में 

उसके घर जाने के लिए शॉर्टकट ले रही थी 

शाम का समय था 

यही लगभग चार बजे का 

मैं चलती तो 

पीछे किसी के कदमों की आहट सुनती 

पलटकर देखती तो किसी को न पाती 

जैसे ही चलती 

ऐसा लगता कि कोई मेरा पीछा कर रहा 

है 

यह लुक्का छिप्पी का खेल काफी देर तक 

चलता रहा 

आखिरकार वह पीछा करने वाला 

मेरी पकड़ में आ ही गया 

वह कोई और नहीं 

मेरा छोटा भाई था 

मुझे यह समझ ही नहीं आया कि 

इसे कैसे पता चला कि 

मुझे कब, कहां और क्यों 

जाना है 

मैंने उसकी तरफ 

थोड़ा गुस्से से अपनी आंखें उसकी आंखों में 

गड़ाकर पूछा कि 

वह मेरे पीछे क्यों आ रहा है 

कोई उत्तर न देकर वह बस 

मुस्कुराने लगा 

मैंने उसे प्यार से घर 

लौट जाने को कहा 

उसे समझाया कि जन्मदिन की पार्टी 

मेरी सहेली की है और 

उसके परिवार ने केवल मुझे बुलाया है 

वह साथ जायेगा तो यह ठीक नहीं रहेगा 

मैं बच्ची थी और 

वह तो और भी छोटा बच्चा 

कितना उत्साहित दिख रहा था और 

एकदम से बुझती फुलझड़ी सा बुझ गया 

भारी मन से उसके कदम घर की तरफ लौट गये 

मैं बीच बीच में पीछे मुड़कर देखती रही कि 

अब तो पीछे नहीं आ रहा लेकिन 

जैसे ही मैं अपनी सहेली के घर जाकर 

उसे जन्मदिन की बधाई देकर 

उसके साथ ही रखी एक कुर्सी पर 

विराजमान हुई 

मेरा भाई बरामदे से सटे 

खुले दरवाजे से हमारे कमरे में आकर 

उसके कोने में एक गुलदस्ते सा खड़ा हो 

गया और 

मंद मंद मुस्कुराने लगा 

मेरी स्थिति उस समय विचित्र थी 

न हंसते बन रहा था और न ही रोते 

मेरे चेहरे के उड़े हुए रंग देखकर 

मेरी सहेली और उसका परिवार 

सारा माजरा भांप गये और 

बोले कि क्या हुआ जो तुम्हारा भाई भी 

आ गया 

अच्छा ही तो है 

यह भी खेल लेगा 

कूद फांद कर लेगा 

मौज मस्ती कर लेगा 

मैंने भी सोचा कि चलो 

आ गया है तो ठीक ही है लेकिन 

यह बिना आहट और 

बिना मुझे दिखे 

मेरे पीछे पीछे मेरी सहेली के घर तक 

कैसे पहुंचा था 

यह मुझे आज तक भी समझ नहीं 

आया।


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