न चमन न वतन चाहिए मुझे तो बस तिरंगे का कफन चाहिए न चमन न वतन चाहिए मुझे तो बस तिरंगे का कफन चाहिए
भीग रहा हूं उसी बरसात में। भीग रहा हूं उसी बरसात में।
सब तरफ से ईंटें उठती रही हम थे कि अनजान ही बने रहे। सब तरफ से ईंटें उठती रही हम थे कि अनजान ही बने रहे।
गुलदस्ते सा मेरा देश गुँथे जिसमे विविध हैं वेश गुलदस्ते सा मेरा देश गुँथे जिसमे विविध हैं वेश
थोडा सा ही रंग बचाया हमने अबकी होली में। थोडा सा ही रंग बचाया हमने अबकी होली में।
जीवन के गुलदस्ते में जाने कितने फूल हैं जाने कितने शूल. जीवन के गुलदस्ते में जाने कितने फूल हैं जाने कितने शूल.