गुलदस्ते
गुलदस्ते
सब तरफ से ईंटें उठती रही
हम थे कि अनजान ही बने रहे।
अब फूलों से रास्ते सजते हैं
कभी-कभी तो गुलदस्ते भी मिलते हैं।
सब तरफ से ईंटें उठती रही
हम थे कि अनजान ही बने रहे।
अब फूलों से रास्ते सजते हैं
कभी-कभी तो गुलदस्ते भी मिलते हैं।