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मेरी शायरी

मेरी शायरी

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ये मत पूछो कैसे लम्हा

गुजारा करते है

माशूका की तस्वीर कागज़

पर उतारा करते है


मेरी एक ही राय

मैं बन जाऊँ चाय

और, तुम्हारी होठों को छूकर

मेरा दिल भी बोले बाय-बाय


तेरी नशीली आँखों को अगर देखूं

तो यह दिल नशे में ना डूब जाए

तेरी चाहत पर अगर शायरी लिखूँ

तो यह दिल कहीं शायर ना बन जाए

मत देख इतना आईना की कहीं

यह भी तेरा आशिक ना बन जाए


यूँ ही नहीं मिलती है मंज़िल किसी को

बहुत कुछ खोना पड़ता हैं

एक बसंत को पाने के लिए

पतझड़ को भी सहना पड़ता है



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