मेरी शायरी
मेरी शायरी
आधी हकीकत,आधा फसाना
मेरा इश्क कैसा है ?
जरा खुलकर बताना।
तुमसे ही मैंने दिल को लगाया
तेरी आशिकी को दुवाओं में मांगा
आधी हकीकत, आधा फसाना।
मेरा इश्क कैसा है ?
जरा खुलकर बताना
अपने दिल के कमरे में
मुझको ठहराना।
तेरा आशिक हूँ मैं वर्षो-पुराना
इसको ना तुम समझो फिजूल अफसाना
आधी हकीकत, आधा फसाना
मेरा इश्क कैसा है ? जरा खुलकर बताना।

