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S Ram Verma

Romance

4  

S Ram Verma

Romance

मेरी रात!

मेरी रात!

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तेरी आँख से जब ख़ुद को देखा 

तो देखते ही मुस्कुराई मेरी रात;


तेरी याद का जब काजल पहना 

तो पहनते ही शरमा गयी रात;


जिसके इश्क़ में पागल नैना 

उसी के इश्क़ में पगलाई रात;


बिस्तर से जब उठी सिसकारी 

उठते ही यूँ खिलखिलाई रात;


सुबह ने ज्योँ ही ओट से देखा

देखते ही देखते बीत गई रात!


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