मेरी मां
मेरी मां
एक परी को जानती हूं मैं
जिसमें मिठास ज़िन्दगी की है
सुंदरता में देवी, बोली मिश्री सी है
शांत वो सागर सी
निर्मलता में नदी सी है
सारी उलझनों का हल है उसकी गोद में
नरमी रूई सी है
सर्दियों में गरमाहट वो
सावन की नमी सी है
उसके होने से ज़िन्दगी हरी भरी सी है
वो मेरी मां है…
वो ज़िन्दगी, वो ही देवी प्यार की है
वो ही नदी अमृत की
मेरे सारे दर्द हरने वाली
वो जादूगर वो परी भी है
राह दिखाती, जीना सिखाती
रोऊ कभी तो मुझे गुदगुदाती
वो मेरी गुरु वो सखी भी है
मां है मेरी वो
उसने मुझे दुनिया की सारी खुशी दी है
