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Lakshman Jha

Abstract

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Lakshman Jha

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मेरी कविता

मेरी कविता

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जो बातें सबको ठीक लगे,

वो बातें सभी से करना है !


जो ह्रदयतंत्र को भेद सके,

ऐसी भाषा को न गढ़ना है !


किसे नहीं भाता कोयल धुन,

ऋतु बसंत के आने पर !


कौन ठहरता सूनेपन में

सूरज के ढल जाने पर ?


लय और ताल सुरों से बंधकर,

गायन मोहक बनता है !


कर्कश ध्वनि में गीत बजे तो,

कोई नहीं समझता है !!


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