मेरी कविता
मेरी कविता
जो बातें सबको ठीक लगे,
वो बातें सभी से करना है !
जो ह्रदयतंत्र को भेद सके,
ऐसी भाषा को न गढ़ना है !
किसे नहीं भाता कोयल धुन,
ऋतु बसंत के आने पर !
कौन ठहरता सूनेपन में
सूरज के ढल जाने पर ?
लय और ताल सुरों से बंधकर,
गायन मोहक बनता है !
कर्कश ध्वनि में गीत बजे तो,
कोई नहीं समझता है !!
