" मेरी कुटिया "
" मेरी कुटिया "
हम खुश हैं अपनी कुटिया में ,
हमें और किसी से क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
वादे तो किये जाते थे अच्छे ही दिन आ जायेंगे ,
अपना जीवन सुधरेगा दिन सबके लौट आयेंगे !
वादे तो किये जाते थे अच्छे ही दिन आ जायेंगे ,
अपना जीवन सुधरेगा दिन सबके लौट आयेंगे !!
इन रोटी से हम यूँ जुड़े हुए हैं ,
अब पकवानों से हमें क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
महंगाई के मार ने हमको कहीं का ना छोड़ा ,
अपने भाग्य के घड़ों को सूखने से पहले तोडा !
महंगाई के मार ने हमको कहीं का ना छोड़ा ,
अपने भाग्य के घड़ों को सूखने से पहले तोडा !!
दुःख के पर्वत सर पर टूट गए ,
उन्हें दुसरे के दुःख से क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
दशा ना बदली खेतों की फसल सारे बर्बाद हुए ,
कर्ज के बोझों से दबकर जीवन सब बेकार हुए !
दशा ना बदली खेतों की फसल सारे बर्बाद हुए ,
कर्ज के बोझों से दबकर जीवन सब बेकार हुए !!
शासक को जब अनुमान नहीं है ,
तब उनसे हमको फिर क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
काम नहीं ना नौकरी मिलती हमतो भटकते हैं ,
झूठी बाते कह कह कर हमको ये भरमाते हैं !
काम नहीं ना नौकरी मिलती हमतो भटकते हैं ,
झूठी बाते कह कह कर हमको ये भरमाते हैं !!
कब हमलोगों की हालत सुधरेगी ,
उनको इन बातों से आखिर क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
जब भूखे नंगे शासक होंगे तो देश को ये बेचेंगे ,
लोग त्रस्त हो जायेंगे दौलत हमारी सब लूटेंगे !
जब भूखे नंगे शासक होंगे तो देश को ये बेचेंगे ,
लोग त्रस्त हो जायेंगे दौलत हमारी सब लूटेंगे !!
देश बचेगा तब सारे लोग बचेंगे ,
बेतुकी नारों से हमको क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
हम खुश हैं अपनी कुटिया में ,
हमें और किसी से क्या लेना ?
दो वक्त की रोटी मिलती है ,
झूठे सपनों से हमें क्या करना ?
