मेरी कल्पना में
मेरी कल्पना में


कल्पना अजब अथाह अनंत जो मेरी,
पल-पल तू ही तो उसमें समाया रहता है,
स्वप्न सितारों से समाए जो मेरी इन रातो में,
क्षण-क्षण बस तू ही तो उसमे छाया रहता है
झट झपकती मेरी इन पलकों में,
झप-झप आता जाता तेरा ही तो साया रहता है,
हाँ, तेरी ही यादों का प्रतिबिंब तो,
मेरे संग-संग चल जैसे मेरी ही छाया बन रहता है।