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piya presents

Abstract

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सोचूं बिचारूं कलम निहारूं

सोचूं बिचारूं कलम निहारूं

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सोचूं बिचारू कलम निहारुं

खींच रस्सी मन के भाव निकालूँ ।


सोचूं बिचारू कलम निहारूं

टटोल मस्तिष्क के शब्द भंडार 

मोती मैं बाहर निकालूँ ।


सोचूं बिचारु कलम निहारूं

घोल स्याही में मोती फिर

शनै शनै पन्ने पर उतारूं ।


सोचूं विचारुं कलम निहारूं

शब्द संग भावों को भी उतारूं ।


सोचूं बिचारु कलम निहारूं

जीवन के इन्द्रधनुष को पन्ने पर मै रंग डालूँ ।


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