मेरी कहानी...।
मेरी कहानी...।
सच्चाई से बेखबर थी मैं,
जब जानी करीब से मैंने दुनिया,
तो पाया खुद को उस मोड़ पर खड़ा,
जहां मेरे जैसे न जाने कितने लोग थे,
जो कुछ न कुछ करने की तलाश में थे,
पर खुद की प्रतिभा से वो अनजान थे,
देख दूसरों को उस जैसा बनना चाहते थे,
पर कहीं दूर खड़ी वो लड़की कुछ गुनगुना रही थी,
पास जाकर देखा तो हैरान थी,
इतनी सी बच्ची और इतनी टैलेंटेड,
उसकी आवाज में एक नशा था,
जो खींच रहा मुझे अपनी ओर था,
मैंने भी अपने मन का करना चाहा,
और एक डायरी में कुछ लिखने का प्रयास किया,
कुछ अटपटा सा अभ्यास मुझे लुभाने लगा,
लिखने की ओर प्रेरित करने लगा,
मैंने भी कोशिश करना नहीं छोड़ा,
और कुछ घंटों बाद जब मैंने उसे पढ़ा,
तो चेहरे पर मुस्कराहट थी और लिखावट में कुछ बात थी,
और खुद व खुद विचारों में उलझने लगी,
जो देखती उसे शब्दों में बयां करने लगी,
और धीरे धीरे बना रही अपनी एक पहचान,
जिस प्रतिभा से मैं कभी अनजान थी।