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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

मेरी गति-मेरा विश्वास

मेरी गति-मेरा विश्वास

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मंथन कर रही हूँ

कि हारी हूँ या थकी हूँ

बेबस हूँ या निराश हूँ

क्या ज़िन्दगी फलहीन है

जो घुल-घुल कर

चले जा रही हूँ

या उड़ने के लिए

परों की तलाश में हूँ


नए रास्ते दिखते है

पर क्यों इतने दूर है

हमें खींचते है ज़रूर

पर क्यों हम

मजबूर है

है बहुत ज़ालिम

यह कशमकश

क्या खाली पड़े है

सारे तरकश?


एक गहरा चिंतन!

मैं जाग गई 

न मैं थकी हूँ 

न हारी हूँ

न बेबस व

निराश हूँ

बस वक़्त तेज़ी से

खिसक गया

व्यस्त रही कुछ

आकलनों में

वह आगे बढ़ता गया

मैं बर्फ बनकर

जमी रही

वह पानी बनकर

बहता रहा


मन जो सवाली था

थपथपा कर कुछ

कह गया

देख लो स्वयं को

धूल में उड़ाओ 

वहम को

कायनात एक आस है

तुम्हारी गति ही

तुम्हारा विश्वास है

हमसफर बदलते है

राहों में

खुद की जीत

अर्जित करो

दम है तेरी

बांहों में.......



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