मेरी गली
मेरी गली
जब आना होगा कल्पनाओं का मेरी गली
कभी कविताओं की मासूमियत सा
कभी शायरी की शिद्द्त सा
मेरा अंदाज होगा
कभी कहानी के राग अनुराग पर कलम नाचेगी
तो कभी गीतों का आगाज होगा
जब आना होगा कल्पनाओं का मेरी गली
मेरा परिचय बन जायेगा
फूलों पर मंडराता भँवरा वो आवारा
वो बसंत की बहार में नाचता हर फूल प्यारा
वो सुबह की धूप की अपनेपन की सौगात
वो ईद वाले चाँद की मोहबत भरी बात
जब आना होगा कल्पनाओं का मेरी गली
मेरी हंसी मेरी दर्द भरी दास्तां
दुनिया के कानों में गोते खायेगी
साधारण सी जन्मी ये लड़की
कभी लेखिका तो कभी शायर कहलायेगी
जब आना होगा कल्पनाओं का मेरी गली।
