मेरी आज़माइश
मेरी आज़माइश
कुछ लोगों ने फूल बरसाए,
कुछ लोगों ने दुआ पढ़ी,
कुछ लोगों से कुछ लम्हों का साथ रहा,
कुछ लोगों की कमी ज़िन्दगी भर सताई,
आसमान को छूने की चाहत लिए,
मेरी आज़माईश खुदा तक पहुँची,
आग की लपटे शरीर को पिग्ला गईं,
दर्द दवा बन गईं और दरिया सागर,
एक पल तेरे दर पर था मैं,
एक पल तेरे आग़ोश में,
एक धागा बन गया जो कफ़न,
इस मौत में भी तू याद आई।

