मौत से पहले
मौत से पहले
शायद रात के ढलने का समय हो चला ,
नम आंखें होसियार मेरे कूच का वक़्त हो चला ,
जिस ज़िन्दगी की फेरिस्त बनाने में सारी उम्र गुज़ार दी ,
आज उस पन्ने को फाड़ने का वक़्त हो चला ,
पीछे नहीं थे रोने वाले ,आगे कंधो की जरूरत नहीं ,
हम आए थे अपने पैरो पर इस जहाँ में ,
अपनी मौत खुद चुनने का वक़्त हो चला ,
न सबक किसी को देना है ,न कुछ और सीखना है ,
बहुत हो चुकी दुनियादारी अब कुछ नहीं निभाना है ,
बस एक बार अगर फिर से मुड़ सकूं ,तो वही काटें चुभोना है ,
दर्द में बड़ा सुकून है बस यही समझाना है ,
गिन गिन के साल जिया ,अब गिनती भूल चूका हु मैं
मेरी कूच का वक़्त हो चला ,अलविदा कहना भी फ़िज़ूल है.