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Subhadeep Bandyopadhyay

Others

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Subhadeep Bandyopadhyay

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"तू मुझमे रूह की तरह "

"तू मुझमे रूह की तरह "

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निशान न छोड़ मेरे दिल पे ऐ हमनशीं ,

की तेरी याद तवज़्ज़ो से ज्यादा हो जाये ,

मयख़ाने में हम पीने आए थे ,

कहीं जाम-ए-आशिकी में न डूब जाएँ,

लावारिस दिल को तेरा सहारा चाहिए था ,

कश्ती को हवाओं के भरोसे छोड़ कहीं तू दूर न निकल जाये ,

दुआ मांगी है हमेशा रब से तेरे सुकून की,

कभी तू इबादत मेरे लिए करे तो ज़माना बदल जाये।। 


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