"तू मुझमे रूह की तरह "
"तू मुझमे रूह की तरह "
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निशान न छोड़ मेरे दिल पे ऐ हमनशीं ,
की तेरी याद तवज़्ज़ो से ज्यादा हो जाये ,
मयख़ाने में हम पीने आए थे ,
कहीं जाम-ए-आशिकी में न डूब जाएँ,
लावारिस दिल को तेरा सहारा चाहिए था ,
कश्ती को हवाओं के भरोसे छोड़ कहीं तू दूर न निकल जाये ,
दुआ मांगी है हमेशा रब से तेरे सुकून की,
कभी तू इबादत मेरे लिए करे तो ज़माना बदल जाये।।
