कवि की कविताएँ
कवि की कविताएँ
एक बार फिर से दिवस होगा,
रात की नींद से जागेगा वक़्त,
कहीं जीत का उल्लास तो
कहीं हार का मातम होगा,
तपते रेगिस्तान की धूप-
में कुछ कर गुज़रने का हौसला होगा।
नम रहेंगी आँखें किसी के चले जाने पर,
गुलिस्तां में फिर भी गुलाब-ऐ -बहार होगा।
अंधेरे से होती हुई होती हुई ज़िन्दगी में
उजालों का दीदार होगा।
कुछ ले जाना अगर हो ख़ास !
तो मुट्ठी भर यादों का अहसास होगा ,
कैद बेड़ियों में सख्सियत हो अगर
आसमानों में आज़ादी का शोर होगा !
मिट जायेंगे फ़नकार मिट ना सकेगा फ़न
रूह-इ -मज्लिश में उसका दीदार होगा।
पन्ने भीग जायेंगे ग़लती स्याही से
कविताओं का ऐसा मुक़ाम होगा।