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anita Kushwaha

Abstract

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anita Kushwaha

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मेरी आकांक्षा

मेरी आकांक्षा

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उम्र भर मैं कविता लिखती रही

कभी कुछ तो कभी कुछ

कभी कल्पनाओं को

यथार्थ का जामा पहनाया

कभी असलियत में

कल्पनाओं को तलाशा

पर अब मेरी आकांक्षा ये है की.....

कविता भी तो मुझे लिखे

मेरे अंदर जो रहता है

चाहे कल्पना चाहे सच

मुझे भी तो पन्ने पर उतारे वो

मेरी हताशा, मेरी असफलता

दुख में सुख की अनुभूति

सुख में दुख की

जीवन के संघर्ष की कहानी

कहानी में संघर्ष की रवानी

मेरे वजूद को पन्नों पर

हर्फ़-हर्फ लिखे

मेरी कहानी अपनी जुबानी लिखे

मेरी आकांक्षा है

कविता भी कभी मुझे लिखे।


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