मेरे शब्द
मेरे शब्द
शुक्र है कि फिक्र करने में हम शुमार रहते हैं,
हम उसमें खुशगवार रहते हैं।
ख्वाहिश बढ़ा ले,
कोशिश और ज्यादा करें।
कुछ गलतियाँ आप माफ करो,
कुछ हम नजर अंदाज करें।
कुछ पहल आप करो,
कुछ चंचल हम बनें।
कुछ आप हमें समझो,
कुछ हम समझे आपको।
कभी हँसना रुलाना,
कभी रुठो को मनाना।
ये वक़्त की लहर कभी थमी नहीं,
रुकती हुई लगे मगर कभी रुकती नहीं !
हम इसमें ही मलहार रहते हैं,
शुक्र है कि फिक्र करने में हम शुमार रहते हैं।
