मेरे प्रिय
मेरे प्रिय
आओ अब बसंत मनाए प्रिय।
हर दिन को एक उत्सव सा मनाए प्रिय।
साथ बैठे बालकनी में पकड़ कर एक दूजे का हाथ।
आज भी अपने जीवित रहने का ही जश्न मनाए प्रिय।
मैं 90 वर्ष का हो गया प्रिय
तुम्हारा भी 88 वा जन्मदिन धूमधाम से मनाएं प्रिय।
दांत नहीं है तो क्या हुआ चलो नारियल पानी ही मंगवाएं प्रिय।
हर समय बच्चों और बड़ों की भीड़ भाड़ में रहते रहे।
उम्र के इस मोड़ पर आओ घर में एकांत का मजा पाएं प्रिय।
बहुत सी मन की बातें जो कोई अब सुनेगा भी नहीं।
आओ बैठकर एक दूसरे को ही सुनाएं प्रिय।
वैसे तो चश्मे से भी साफ दिखता ही नहीं
लेकिन मन से देखें तो मैं कितना हैंडसम और तुम कितनी सुंदर हो प्रिय।
हमारा दलिया की खिचड़ी तो महाराज बनाकर चले गया होगा।
आओ घर के पार्क में ही झूले पर बैठ कर कुछ फल खाएं प्रिय।
कहां दर्द है और कहां अकेलापन
इन सब बातों को छोड़ो
जब तक साथ है हम दोनों
परमात्मा का हर पल धन्यवाद मनाएं प्रिय।
ना गुनगुना सके हम तो कोई बात नहीं।
तुम्हें कौन सा गीत सुनना है लगाओ कानों में मशीन ,
हम एलेक्सा को वही तुम्हारा पसंदीदा गाना सुनने की फरमाइश फरमाए प्रिय।

