मेरे पास तुम हो
मेरे पास तुम हो
मेरे पास तुम हो,
वाह क्या वहम मैं पाल रहा था,
जिंदगी का कीमती तोहफा तुम हो,
रब के दर पर शुक्रिया के पन्ने डाल रहा था।
मेरे पास तुम हो,
बड़े फक्र से कहा करता था,
अज़ीज़ बहुत मेरे लिए तुम हो,
इस बात से तुम्हें खोने से डरता था।
मेरे पास तुम हो,
इसलिए कभी तसवीन नहीं पड़ी कोई और चाहत लिए,
बड़ी आसनी से बेवफाई कर गई तुम तो,
चली गई सुकून से मेरी राहत लिए।
मेरे पास तुम हो,
इस झूठ को दफन कर दिया मैंने,
चुभती है तस्वीर तुम्हारी तो,
लौटना नहीं कभी मेरे तन्हा शहर में।
