बरसात और कलम
बरसात और कलम
बरसात और मोहब्बत का एक अलग सा नाता है,
दोनों की ही खुशबू रूह में आकर समा जाता है।
मोहब्बत बस इंसानी रिश्तों का मोहताज नहीं होता,
मोहब्बत तो किसी भी प्रकार की वस्तु से भी है होता।
जैसे एक कलाकार की मोहब्बत कला होता है,
जैसे एक लेखक की मोहब्ब्त कलम होता है।
बरसात के ज़िक्र से मेरे ख्याल में बस एक ही बात आती है,
कुछ लिख दूं आपनी मोहब्बत कलम के बारे में।
बरसात की बूंदें ज़मीन को छू कर जितनी खुशियां मनाती हैं,
मेरे ख्यालों को कलम कागज़ पर उतार कर उतनी ही खुशी जताती है।
बरसात की खुशबू मन को जिस तरह से प्रफुल्लित करती है,
उतनी ही आकर्षित महसूस कराती है मेरे कलम से झलक रही बातें।
मंज़र वो कितनी खूबसूरत होती है जब बारिश की धुन कानों तक आती है,
गुनगुनाता है दिल जज़्बात सारे और कलम स्याही बहाता है कागज़ों पे।
बरसात की बातें करूं तो शायद मेरे कविता का आखिरी पड़ाव ना आए,
कलम उतारता रहेगा मेरे नैनों की बातें सदियों तक बिना खुद को रोके।