मेरे पापा
मेरे पापा
न जाने किस तरह,
मेरे कर्मों का हिसाब कर देता है वो,
डालता है सारी खुशियाँ मेरे खाते में,
और गमों को उधार कर देता है वो।
कभी कभी किस्मत रूठ भी जाये तो क्या,
कभी कभी पैर फिसल भी जाये तो क्या,
किस्मत बदलकर, मुसीबतों से लड़कर,
खुशियों के भंडार भर देता है वो।
हाँ, मेरे लिये वो ही खुदा और वो ही भगवान है,
पिता का स्वरूप, इस जहाँ में ब्रह्मा के समान है,
जो, परिवार बनाकर, बोझ कन्धों पर उठा कर,
सारी परेशानियाँ हंस कर टाल देता है वो।।