मेरे पापा
मेरे पापा


एक बरगद का बूढ़ा दरख्त
अक्सर आपकी याद दिलाता है
आपका शून्य में विलीन होना
मुझे कितना कमज़ोर बना जाता है
आप ही तो भरते थे मुझमें
ताक़त और हौसला....
आप ही थे मेरा संबल
आपसे ही सहारा था हर पल
जब भी पलटती हूँ यादों की
वो पीली पड़ चुकी किताब
उसमें से झाँकते हैं आप।
कभी मेरी उँगली थाम
मुझे चलना सिखाते हुए
कभी ग़लतियाँ करने पर
माँ की डाँट से मुझको बचाते हुए
अक्सर मेरा मनचाहा ख़्वाब
मेरे बिन बताए पूरा करते हुए।
माँ के जाने के बाद, माँ
और पिता दोनों की भूमिका
बख़ूबी निभाते हुए
आप की कमी तो है वो रहेगी
पर अक्सर आपका शायद
कहीं ज़िन्दा है मुझमें।
आपके संस्कारों पगी वो शिक्षा
है मुझमें रची बसी कहीं
जिसके बीज रोपे थे
आपने मुझमें कभी।
फादर्स डे तो आयेगा और
आकर चला जायेगा
पर आप बिन मेरा आँगन
सूना है और सूना रह जायेगा।