मेरे मनभावन
मेरे मनभावन


कैसी पहेली हो तुम जितना खोजूं उतना ही गहराते हो,
पास नहीं हो फिर भी मन को इतना सुकून दे जाते हो,
न देखा न मिले कभी एक राज है अब भी पहचान तेरी,
कुछ खास तो है तुझमें कि तू बन बैठा मुस्कान मेरी।
कैसी पहेली हो तुम जितना खोजूं उतना ही गहराते हो,
पास नहीं हो फिर भी मन को इतना सुकून दे जाते हो,
न देखा न मिले कभी एक राज है अब भी पहचान तेरी,
कुछ खास तो है तुझमें कि तू बन बैठा मुस्कान मेरी।