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Priya Kanaujia

Romance

4.3  

Priya Kanaujia

Romance

मेरे मनभावन

मेरे मनभावन

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कैसी पहेली हो तुम जितना खोजूं उतना ही गहराते हो, 

पास नहीं हो फिर भी मन को इतना सुकून दे जाते हो,


न देखा न मिले कभी एक राज है अब भी पहचान तेरी,

कुछ खास तो है तुझमें कि तू बन बैठा मुस्कान मेरी।


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