मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
मेरे सब दुख का समाधान हो तुम,
चाहा है मैंने दिल से तुम्हें, मेरी सारी दुनिया, जहान हो तुम।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
मुझे परवाह नहीं क्या कहते हैं सब,
क्या कहते हैं यहाँ लोग सदा,
मुझे परवाह है तो बस तुम्हारी कि तुम किस हाल में रहते हो।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
मोती सा हर बोल तुम्हारा, मन गंगा सा पावन है,
इस रिश्ते का क्या कहना, यह रिश्ता तो मन भावन है।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
विश्वास से हर रिश्ते की शुरुआत होती है,
स्नेह से मिठास, दिल से गहराई
और दुआ से अरदास होती है।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
इस रिश्ते में ना समय की पाबंदी, ना दुनिया के होङ,
ना उम्र की जरूरत, ना कोई जरूर।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
मेरी हर दुआ में शामिल नाम हो तुम,
मेरे दिन के सुबह, रात की शाम हो तुम।
मेरी दुनिया तो बहुत छोटी सी है,
इस दुनिया में मेरे नाम हो तुम।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
हे ईश्वर, दुआ रहेगी मेरी यह बस,
इस रिश्ते को यूं ही बनाए रखना,
सदा फूलों सा इसे महकाए रखना,
रोज मिलने का समय मिले या ना मिले,
अपने दिल में हमारी याद हमेशा बनाए रखना।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
सदा सलामत रहे यह खूबसूरत रिश्ता हमारा,
कभी कोई दूर ना करें हमसे, यह रिश्ता हमारा।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
अगले जन्म जाने हम कहां मिले, मिले या ना मिले,
पर ईश्वर से मैं यही चाहूंगी कि
हर जन्म में हम कहीं ना कहीं जरूर मिले।
मेरे मन में बसे श्रीराम हो तुम.......
जब किसी पर यह ख्याल आता है,
कि क्या होगा मेरा तुम्हारे बाद
यह बात सोच कर दिल मेरा घबराता है।
हे ईश्वर, कुछ मैंने भी अच्छा कोई काम किया हो,
तो एक बात पर रहम करना
लंबी रहे उनकी यह जिंदगानी
जब तक रहे सूरज, चंदा और पानी। सूरज, चंदा और पानी।
मेरे मन में बसे श्री राम हो तुम.......

