मेरे मीत बनोगे क्या
मेरे मीत बनोगे क्या
तुम अपनी धुन में चलना,अनुसरण करुँगी मैं
जीवनपथ पर कदम मिलाकर चलने दोगे क्या..?
मेरा मुझमें शेष बचा क्या,किया तुम्हें सब अर्पण
मैं बिल्कुल तुम जैसी हूँ अब,तुम ही मेरे दर्पण
मेरा कोरा हृदय, तुम्हारे रंग रंगूँगी मैं..
अपने रंग में प्रियतम मुझको रंगने दोगे क्या..?
जो भी तुमको प्रिय है,'प्रिय' वो मुझको भी भाएगा
जो तुमको अनुचित लगता है, ठौर नहीं पाएगा
जितनी अनुमति दोगे उतनी श्वांस भरूँगी मैं..
अन्तिम क्षण तक अपने उर में रहने दोगे क्या..?
पथ पर कंटक हों जितने भी, पलकों से चुन लूँगी
जो भी तुम कह न पाओगे,वो भी सब सुन लूँगी
बनके साहस जीवन-रण में साथ रहूँगी मैं..
अपने सारे सुख-दुख साझा करने दोगे क्या..?
सागर जैसे तुम गहरे, मैं नदिया सी चंचल हूँ
तुम अपनी लय में बेसुध हो,मैं तुम बिन व्याकुल हूँ
तुम्हीं अभीप्सित तुमसे प्रिय हर जनम मिलूँगी मैं..
अपनी लहरों में भरकर मुझे बहने दोगे क्या..?
अपने अधरों पर तुमको दिन-रैन रखूँगी मैं..
अधर तुम्हारे, बनकर खुशियाँ खिलने दोगे क्या..?
तुम अपनी धुन में चलना,अनुसरण करुँगी मैं
जीवनपथ पर संग अपने तुम चलने दोगे क्या..?