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Ankita kulshrestha

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ऋतुराज वसंत

ऋतुराज वसंत

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मुदित मन मधुकर का आह्वान

गुंजरित उपवन स्वागत गान।

धरा की शोभा बढ़ी अनंत

नमन अतुलित ऋतुराज वसंत।


नवल पहने तरुवर ने वसन

नवल वसुधा वधु का श्रृंगार

बाग में खिलते अनगिन पुष्प

पुष्पधन्वा का शुचि उपहार,

मुग्ध आनंदित दिशा दिगंत 

नमन अतुलित ऋतुराज वसंत।


मोगरा,चम्पा और गुलाब

बनाते मिलकर वंदनवार

सखी तितली ले आई सोम 

प्रेम का मनभावन त्यौहार

हो रहा तिमिर शोक का अंत

नमन अतुलित ऋतुराज वसंत।


सभा-संगीत बाजते शंख 

मँजीरे,ढोलक,झाँझ,मृदंग

देख तरुणी के मादक नैन

हृदय पिय आतुर उठी तरंग

ताव में बैठे ज्यों सामंत

नमन अतुलित ऋतुराज वसंत।


बया,कोकिल,शुक,काग,कपोत

मुदित मन नाचे संग मयूर

सुगंधित सृष्टि अलौकिक चारु

प्रेम घट छलके निकट-सुदूर

उमंगित हर्षित उर अत्यंत

नमन अतुलित ऋतुराज वसंत।


कुहासा छटा,खिल उठी धूप

शीत की धार हो चली कुंद

झूमते सरसों महुआ पात

सदन से निकले बाल-मुकुंद

कर रहे वंदन साधू,संत

नमन अतुलित ऋतुराज वसंत।


बौर से बौराए हैं विटप

छलकता पल्लव का सौन्दर्य

राग--रस-गीत-रंग की वृष्टि

अरे ! उत्साहों का सहचर्य

नमन अधिराज, नमन है !


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