मेरे जज़्बात
मेरे जज़्बात
ख़्वाब देकर नींदे चुरा ले गया कोई
मुझे मुझसे चुराकर दिल दे गया कोई
अधर मौन, निगाहों से सब कह गया कोई
दिल के जज़्बात एक नज़र में कह गया कोई
हम हार बैठें दिल उसकी हर अदाओं पर
अपनी अदाओं से घायल कर गया कोई
प्यार, मोहब्बत, इश्क़ करना गुनाह है
ये गुनाह भी मेरे साथ कर गया कोई
ना मिली निगाहें, ना बात की एकदूजे से
बिना मिले बेइंतहा मोहब्बत कर गया कोई
एहसास प्यार का खास जता कर गया
हाय!! मेरा दिल चुरा कर गया कोई
ना जाने क्या बात थी उस अजनबी में
अंजान को इश्क़ का पैग़ाम दे गया कोई
इस कदर चाहत सनम ने जताया हम पर
ना चाह कर भी हमारी चाहत बन गया कोई
मुक्कदर में लिखा क्या है ये खुदा जाने
मुक़्क़ल इश्क़ की दुआ बन गया कोई
मेरी शोना,मेरी बाबू कहता रहता मुझे
जान कहकर मेरी जान ले गया कोई
उम्र का हिसाब लगाते रहे दुनियां वाले
मोहब्बत बेहिसाब हमें दे गया कोई
हर जज़्बात, हर ख़्वाब, हर एहसास में
अपनी मौजूदगी दर्ज करा गया कोई
हीर-रांझा, सोनी- महिवाल नहीं हम
राधा-कृष्ण सा प्रेम कर गया कोई।