मेरे अल्फाज
मेरे अल्फाज
मेरे लिखे अल्फाजों को पढ़ने लगे है वो
हर कविता पर वाह वाह करने लगे है वो
क्या सच में ही पढ़े है मेरे अल्फाज उन्होंने
या बेवजह ही झूठी तारीफे करने लगे है वो
या पढ़ा है सिर्फ उन्होंने अल्फाजों को ही
या उसमे छुपे मेरे गहरे एहसास पढ़े है
क्या समझ पाए होंगे मेरे प्यार को कभी
या समझ कर भी नासमझ बने हुए है
क्या छुआ है मेरे मन की उलझनों को
क्या अल्फाजों में छुपे दर्द को महसूस किया है।

