मेरा वज़ुद तुमसे हैं
मेरा वज़ुद तुमसे हैं
लोगोंकी नज़रसे बचानेके लिऐ काला टिक्का लगाती हैं हमे,
पर सबसे ज़्यादा हमे वो पसंद करती हैं,
कहाँ उसे गणित आता हैं,
एक रोटी मांगु तो वो दो देती हैं,
हमने तो गुस्से से बात भी कर ली कई बार,
पर तुम हो जो हमसे नाराज़ कभी नहीं होती,
हमारे सपने तुम्हारी आँखोंमें देखें हैं,
तेरी हर दुवामें पहले हम तो आते हैं,
बुरे सपने कहाँसे आयंगे हमे,
तेरा हाथ पकड़ माँ हम पूरी रात सोते थे,
और सबद क्या लिखुँ,
माँ तेरी लिखावट खुद हम हैं।