भरोसा रख
भरोसा रख
साँसो में आज डर झलकता है,
भरोसा रख ये एक ज़िंदगी पर कितनी और साँसे चलती हैं।
दोष किसी का, पर कई ज़िंदगियां आज ज़ुर्माना भर रही है
भरोसा रख हौसला हैं तो आधी मुश्किल ख़त्म हो चुकी हैं।
हर कैद ज़िंदगी कोई अच्छी आस लगाये बैठी है
भरोसा रख अभी घर की चार दिवार ही सही आज़ादी है।
सवाल तो काफ़ी है पर जवाब देने वाला कोई नहीं है
भरोसा रख फिलाल उकेल तो मास्क, टीका ओर छह गज़ की दुरी है।
आज एक दूसरे पे उँगलियाँ उठ रही हैं,
भरोसा रख अगर साथ सबका हो तो ये चुनौती भी छोटी है।