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Drashti Bhanushali

Tragedy Others

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Drashti Bhanushali

Tragedy Others

मेरा रफ़ीक

मेरा रफ़ीक

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हयात की एक ह़कीकत सुनो,

मसरूफ़ है सब अपनी जिंदगी में।

हसीन लम्हों में सब होंगे साथ,

अलविदा कहेंगे वक्त-ए-गर्दिशों में।


गर्दिश वक्त में एहसास हुआ,

कोई भी मेरे साथ न था।

तब कल्ब ने दिया दिलासा कि,

मेरा रफ़ीक, मेरा आशना,

मेरा हमदम मेरे साथ था॥


साथ था केवल उस दोस्त का,

जो अश्क थे मेरे पोंछता।

मेरी खुशियों में थी उसकी खुशियाँ समाई, तो

बढ़ा दिया था कंधा अपने सिर को टेक लगाने को॥


ऐ दोस्त! एक इल्तिजा है तुझसे,

फ़रियाद न करना यदि भूल हुई हो मुझसे।

मर के भी हमारी दोस्ती अमर हो,

यही दुआ मैं माँगू परवरदिगार से॥


खुदा से यहीं गुजा़रिश है,

करें इनायत दोस्त पर मेरे।

तबस्सुम रहे उसकी सूरत पर सदा,

मैं जिंदा रहूँ या कब्र में॥


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