मेरा नाम!
मेरा नाम!
आश्विनी कुमार के साथ यात्रा की दौड़,
शब्दों के सम्राट, कविता का सन्दूकवाल।
विचारों की पाठशाला, भावनाओं का सागर,
कल्पनाओं के उड़ानों का रंगीन पंछी आश्विनी कुमार।
बातों की जड़ों को उखाड़कर वो नया ख़्वाब बुनता है,
शब्दों की मल्लिका को सरस्वती की वाणी सुनाता है।
कविता के संसार में वो अपनी पहचान बिखेरता है,
भावों के पंखों से उड़ान भरता है आश्विनी कुमार।
विचारों की लहरों में उतरता है वो समुंदर,
भावनाओं की धारा में बहता है वह नदी प्यारी।
हृदय के रंग रंगीन तारों से सजते हैं उनके आगे,
कविता के माली हैं वो, जो बागों को खिलाते हैं आश्विनी कुमार।
अद्भुत शब्दों का संगम गीतों में करता है,
भावनाओं के पंखों पर उड़ानों को चढ़ता है।
कविता की दुनिया में वो अपनी मजबूती बिखेरता है,
व्यक्तित्व के रंग में रंगता है आश्विनी कुमार।
