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Harsh Singh

Romance

4.6  

Harsh Singh

Romance

मेरा मितवा

मेरा मितवा

1 min
117


बड़ा अजीब है अपना नसीब मितवा , लिखता हूँ बस मैं तेरा ही गीत मितवा 

साहिल बनके तेरा ना रहा अब कोई शिकवा , बनूँगा मैं तेरा ही प्रीत मितवा 

ढूँढता हूँ हर गली बस तुझे मितवा , मुसाफिर बन गया हूँ मैं तो तेरा मितवा 

देखूं मैं हर पल बस तुझे मितवा , लिखता हूँ मैं तो तेरे ही गीत मितवा 

ना रही नाराज़ी ना बचा कोई गिला शिकवा , जब से बन गया है तू मेरा मितवा 

दूर ना जाना ना होना कभी खफा मितवा , होंठों पे है नाम बस तेरा ही मितवा 

देदे मुझे आश्रय बस एक तेरा ही आसरा , बनूँगा मैं तो तेरा ही प्रीत मितवा 

लगो जैसे कोई गुड़ का बना तिलवा , सुनता हूँ मैं तेरा ही गीत मितवा 

पूछते हो तुमसे है प्यार कितना , नाप लो समुद्र में है पानी जितना 

हार ना जाऊँ इसलिये चाहते हो जीतना , कैसे हार जाऊँगा जो तू है मेरे साथ मितवा ।



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