मेरा मितवा
मेरा मितवा


बड़ा अजीब है अपना नसीब मितवा , लिखता हूँ बस मैं तेरा ही गीत मितवा
साहिल बनके तेरा ना रहा अब कोई शिकवा , बनूँगा मैं तेरा ही प्रीत मितवा
ढूँढता हूँ हर गली बस तुझे मितवा , मुसाफिर बन गया हूँ मैं तो तेरा मितवा
देखूं मैं हर पल बस तुझे मितवा , लिखता हूँ मैं तो तेरे ही गीत मितवा
ना रही नाराज़ी ना बचा कोई गिला शिकवा , जब से बन गया है तू मेरा मितवा
दूर ना जाना ना होना कभी खफा मितवा , होंठों पे है नाम बस तेरा ही मितवा
देदे मुझे आश्रय बस एक तेरा ही आसरा , बनूँगा मैं तो तेरा ही प्रीत मितवा
लगो जैसे कोई गुड़ का बना तिलवा , सुनता हूँ मैं तेरा ही गीत मितवा
पूछते हो तुमसे है प्यार कितना , नाप लो समुद्र में है पानी जितना
हार ना जाऊँ इसलिये चाहते हो जीतना , कैसे हार जाऊँगा जो तू है मेरे साथ मितवा ।