मेरा ख्वाब और तुम
मेरा ख्वाब और तुम
दिल और जोर से धड़कता है
और सांसे मेरी थम सी जाती है;
जब भी तुम अपने फूल जैसे कोमल
उन लबों को मेरे लबों पर रखती हो;
बदन के तुम्हारे हर एक कटाव पर
जब उंगलियां मेरी चलती है;
कमर के तुम्हारी थिरकन ऐसे लगती हैं मानो जैसे
मछली कोई पानी से निकलने पर तड़पती हैं;
अपनी उन गीली ज़ुल्फो से जब
तुम मेरे चेहरे को भिगाकर मुझे नींद से जगाती हो;
लगता है कि जैसे तुम मुझे
इशारों इशारों में अपने पास बुलाती हो;
जब भी बाज़ार में पकड़ता हूं हाथ तुम्हारा
तुम शर्मा कर के अपना हाथ छुड़ती हो;
अकेला पाकर बाहों में अपनी तुम कुछ यूं जकड़ती हो
कि जैसे भूल कर सबकुछ बस मुझमें समाना चाहती हो;
ख्वाहिशें तो और भी बहुत सी है
इस दिल ए नादान की मगर अफ़सोस
वो पूरी नहीं हो सकती क्योंकि तुम अब इस दुनिया में
सिर्फ मेरे ख़्वाब और ख़यालो में साथ रहती हो!