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Omdeep Verma

Tragedy

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Omdeep Verma

Tragedy

मेरा हाल

मेरा हाल

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जब कोई पूछता है हाल दिल का 

मुस्कुरा कर खुश हूँ कह देता हूँ। 

छोड़ दिया है आजकल रोना मैंने

दुखों को भी हंसकर सह लेता हूँ।। 

दर्द नहीं कोई देखने वाला मेरे 

सारे ही वैसे यहाँ तमाशबीन हैं। 

आंसू पोंछना भी तो आजकल 

उनके गुरूर की जैसे तोहीन है।। 

मैं बातें अपने मौला से करता हूँ 

ये दुनिया वाले कहते पागल हैं। 

मैं बरसने नहीं देता कभी नेत्रों को 

वैसे दिल में रोज गरजते बादल हैं।। 

मतलब नहीं रखता उन लोगों से 

जो बस अपने मतलब के यार हैं। 

लिखता है 'ओमदीप' उनके लिए 

जिनको लिखना मेरा नागवार है।।



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