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Bindiyarani Thakur

Tragedy

3  

Bindiyarani Thakur

Tragedy

मेरा एक काम कर दो

मेरा एक काम कर दो

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अपने हाड़ माँस से ही

जन्म दिया था

वो मेरा ही अंग था,

जीवन में उसको पाकर

खुशी से झूम उठी थी मैं 

अपने सारे दुःख दर्द 

भूल ही गई थी मैं 

खून पसीना बहा कर 

कड़ी मेहनत करने से 

उसको पाला पोसा था, 

अपना पेट काट काट कर 

उसका उदर भरा था,

उसके साथ जागी थी 

उसकी नींद सोयी थी,

कर्ज लेेेकर पढ़ा लिखाकर 

उसको विदेश भेजा था, 

क्या बतलाएँ

हाय उस पल को 

मेरा दिल कितना रोया था 

जाते ही उसको फिर क्या हुआ 

वह कैसे पत्थर दिल हो गया।

एक बार भी माँ की सुुधि ना 

मेरे लहू का रंग बदल गया,

इंतजार करके थक चुकी हूँ मैं 

अंत समय है आराम दे दो 

इन बूढ़ी आँखों ने

बहुत राह देख ली उसकी 

हो सके तो कोई 

मेरा एक काम कर दो 

मेरे अंतिम संस्कार की उसे 

नहीं है इजाजत 

उसको ये आखिरी पैगाम दे दो। 

 

 



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