मेरा दोस्त- कम्फर्ट ज़ोन
मेरा दोस्त- कम्फर्ट ज़ोन
अब आज नहीं, कल करता हूँ
और कल आते ही यही विचार,
बस यही कहता रहता है मेरा दोस्त,
दोस्त या दुश्मन, जो भी है मेरा कम्फर्टज़ोन।
बड़ा अपना सा है यह,
पर हर दोस्त की तरह कमीना भी,
हाँ बचाता है काफी उबाऊ कामों से,
पर छुड़वा देता है ज़रूरी चीज़ें भी।
हाँ, बिगाड़ा भी बहुत है इसने,
पर बनाया भी कुछ नहीं,
कहने के लिए तुरंत छोड़ सकता हूँ
पर साला इतनी गहरी दोस्ती है, टूटती भी नहीं।
जिगरी नहीं है पर उससे कम भी नहीं,
काबिल नहीं भरोसे के, पर सहारा देने लायक,
बचपन सेही साथ है मेरे,
और अब तो करीबी भी।
जानता है मुझे अच्छे से,
इसलिए थोड़ा तानाशाह है,
सुनता है मेरी बहुत,
पर चलाता सिर्फ अपनी ही है।
बिलकुल भारतीय माँ-बाप की तरह है,
बस अपनी ही चलानी है, पर ठीक है,
अब तुझे छोड़ने का सोचा है,
और अपनी ज़िंदगी सुधारने का भी।
