मेरा आईना मुझसे कहता है
मेरा आईना मुझसे कहता है
मेरा आईना भी मुझसे बहुत कुछ कहता है ,
आज जब मैंने किया शृंगार उसके सामने
उसने शरमाकर देख मुझे धीरे से कहा
आज बहुत खूब लग रहे हो तुम
क्या इरादा है आज तुम्हारा
आज तो कयामत ढा रहे हो
जब तुमने अपनी जुल्न्फ़े संवारी थी
तुम्हारी ज़ुल्फों का पानी मुझे भिगो गया
तुम्हें देख देख तुममे ही जाने कब मैं खो गया
मुझे देखकर तुम्हारा यूं मुस्कुराना
कयामत कर गया
मैं तो सच्चाई दिखाता रहा अक्सर
आज जाने कब सपनों में सो गया
जी करता तुम्हारी सुंदरता
यूं ही निहारता रहूँ
तुम मेरे सम्मुख खड़े रहो
और मैं कुछ न कहूँ I
