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Praveen Gola

Drama

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Praveen Gola

Drama

मेहरबां

मेहरबां

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यूँ तो ज़िन्दगी अब दगा देने लगी है,

मौत भी अब मुझसे रजा लेने लगी है,

ज़र्रा - ज़र्रा ज़िस्म का नीलाम हो गया है,

ऐसे में कोई हम पर मेहरबां हो गया है।


रोज़ अपने ज़िस्म की नुमाईश करते - करते,

साँसों में तेरे नाम की दुहाई रटते - रटते,

इस ठंडे ज़िस्म में एक स्वपन पल रहा है,

देख तेरी चाहत में ये फिर जल रहा है।


तू हर बार आने को तैयार सा खड़ा है,

अपनी ही ज़िद पर पहले जैसा अड़ा है,

मैं वक़्त के हाथों बिकने का फरमान पढ़ रही हूँ,

अपनी ही किसी अगन में तन्हा जल रही हूँ।


रोज़ तुझसे करती हूँ फिर से मिलने का वादा,

जब हम दोनो के बीच होगा प्यार और ज्यादा,

पर ये ज़िस्म अब एक सवाल बन गया है,

तुझसे मिलना भी एक बवाल बन गया है |


मैने ज़िन्दगी को कर दिया अब तेरे हवाले,

मौत पर लगे पहरों से अब तू ही मुझे निकाले,

फिर से अपने इश्क का चर्चा आम हो गया है,

क्योंकि तू मुझ पर मेहरबां हो गया है।


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