मेहमान
मेहमान
मैं पैसा कमा रहा हूँ माँ,
क्या हुआ फिर,
जो एक साल से ज्यादा हो गए तुझसेे मिले,
तेरे देखभाल के लिए रखी तो है वो नर्स,
फिर क्या हुआ जो मुझे नहीं पता,
कि तुझे क्या खाने से एलर्जी है?
तुझे कबसे खाँसी की शिकायत है ?
तेरा चश्मा फूटे कितने दिन हो गए?
पैसे तो भेजता हु ना मैं तुझे,
बहुत काम है मेरे पास माँ ,
दुनिया को साबित करना है मुझे!
वो बातें, जो पहले ,
दिन से हफ्ते ,
फिर हफ़्तों से महीनों,
और अब महीनों से साल में एक बार होने लगी,
उन्हें सोचते-सोचते माँ की वो पलके पथरा गयी,
उसने सोचा,
अधूरी रह गयी वो बहस,
जिसमे दोनो पक्ष में बेटा ही था,
वक़ील से लेकर जज तक वही था।
पर वो आया था आज,
उस बात और अपने फ़र्ज़ को पूरा करने,
पर उसे तब लगा घर पर मेहमान थे,
उस बाजू वाली लड़की को देखकर,
जो मेरा हाथ थामे खड़ी थी,
पर मेहमान तो वो था,
जिसे पता नहीं चला,
कि घर में गैस खत्म हो गयी है,
तो मैंने क्या खाया होगा।