पिता की आवाज़-कैसे जान पाओगे?
पिता की आवाज़-कैसे जान पाओगे?
एक नज़र में तुम उसे
क्या ही जान पाओगे?
कैसे जान पाओगे कि
उसे मेरी दवाई का वक़्त
अपने असाइनमेंट से ज्यादा याद रहता है?
कैसे जान पाओगे कि
उसके दोस्त उसे "मसीहा" यूं ही नही कहते ?
कैसे समझ पाओगे कि
उसके खाने में अपनापन किसी कुकिंग क्लास से सीखकर नहीं ,
बल्कि माँ की डांट खाकर आया है ?
कैसे जान पाओगे कि
अपने भाई से पढ़ाई में हमेशा आगे रही है वो
अरे ,
तुम क्या मेरी बेटी को पसन्द या नापसंद करोगे,
तुम तो ये भी नहीं जान पाये कि
एक नज़र में सिर्फ बाहर का दिखावा दिखता है
तन के अन्दर का मन नहीं !