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Mani Aggarwal

Romance

4  

Mani Aggarwal

Romance

मधु यामिनी

मधु यामिनी

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प्रेम मंजरी बौराई है,

मेरे अंतस के तरुवर में।

चटक रहीं हैं अनगिन कलियाँ,

कुसुमित हो हर अंग-अंग में।


प्रणय निमंत्रण लिए यामिनी,

मंद-मंद मुस्काय रही है।

तनिक प्रतीक्षा शेष मिलन की,

कह मन को अकुलाय रही है।।


हर पदचाप हृदय को मेरे,

व्याकुलता से भर देती है।

हर्ष-लाज के मिश्रित स्वर से,

आनन रक्तिम कर देती है।


नयन शरम से झुक जाते हैं,

खुशी अधर मुस्काय रही है।

तनिक प्रतीक्षा शेष मिलन की,

कह मन को अकुलाय रही है।


श्वेत-रक्त पुष्पों से सज्जित,

सेज सुवासित भीनी खुशबू।

प्रणय राग सा छेड़ रही है,

इठलाती-लहराती हर सू।


मोहक भीनी वास हृदय में,

मादकता भर जाए रही है।

तनिक प्रतीक्षा शेष मिलन की,

कह मन को अकुलाय रही है।


भांति-भांति अहसास जगे है,

मौन छेड़ता राग लगे है।

धड़कन तेज़ हुई जाती है,

जल तरंग सम गात लगे है।


हर दस्तक की स्वर लहरी क्यों ?

उर उद्वेग बढ़ाय रही है।

तनिक प्रतीक्षा शेष मिलन की,

कह मन को अकुलाय रही है।।


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