मौहब्बत का समाँ .....
मौहब्बत का समाँ .....
कुछ आरजुएं, कुछ फ़रमाइश़ें
कुछ ज़ुस्तज़ू और कुछ ख्वाब भी
वो वादें जो कभी ना टूटें
वो रिश्ते जो कभी ना छूटें
फासले कभी हो भी तो इतने ना हो
दिलबर मेरे ,जो कभी मिट ना सकें,
क्योंकि तेरी मौहब्बत के सिवा
मेरा कोई भी आशियाँ नहीं है,
तूने जो छोड़ा तो तेरे सिवा फिर
मेरा कोई भी निगेहबान नहीं है।