मैरिज का कॉन्ट्रैक्ट
मैरिज का कॉन्ट्रैक्ट
💍 मैरिज का कॉन्ट्रैक्ट
(आधुनिक युग का हास्य–व्यंग्य काव्य)
✍️ श्री हरि
🗓️ 24.8.2025
कभी था पाणिग्रहण संस्कार,
जहाँ पाणि भी था, ग्रहण भी और संस्कार भी।
वह सात जन्मों का व्रत,
सिंदूर–मंगलसूत्र का अनंत प्रण।
पर अब विवाह…?
एक बोझिल अनुबंध!
“लिव–इन” का जादू छा गया,
और वकील की जुबान से गूँज उठा—
👉 “पहले इस्तेमाल करो, फिर प्यार करो!”
सात फेरे अब सात क्लॉज़ में बँध गए—
1️⃣ खाना मैं नहीं बनाऊँगी।
2️⃣ महीने में कम से कम दो आउटिंग ज़रूरी।
3️⃣ रिमोट पर पहला हक मेरा।
4️⃣ तनख्वाह मेरी, खर्च तुम्हारा।
5️⃣ बच्चा कब, कैसे—निर्णय मेरा अकेला।
6️⃣ घर–परिवार में पति की चुप्पी अनिवार्य।
7️⃣ गलती चाहे जिसकी भी हो, “सॉरी” पति ही बोलेगा।
अब पंडित मंत्र नहीं पढ़ते,
बल्कि वकील धाराएँ पढ़ता है—
“धारा 1.1 के अनुसार…
दोनों पक्ष नियम व शर्तें समझकर
हस्ताक्षर करें।”
मांग का सिंदूर लाल मुहर में ढल गया,
और सात वचन अब सात पासवर्ड में बदल गए।
प्रेम?
वह अब ट्रायल वर्ज़न है।
एक साल में मन न भाए तो
“अनसब्सक्राइब” कर लो,
फिर नया पार्टनर–अपडेट डाउनलोड करो!
पति के अधिकार:
सारे बिल भरना,
हर रात “यस मैडम” कहना,
और अपनी मर्दानगी एयर–कंडीशनर की तरह
केवल बटन ऑन–ऑफ तक सीमित रखना।
पत्नी के अधिकार:
“मेरी मर्ज़ी सर्वोपरि।”
चाहूँ तो एक्स्ट्रा अफेयर भी रखूँ,
चाहूँ तो गर्भ गिराऊँ—
पति का दखल क्लॉज़ 420 के अंतर्गत अपराध।
ससुराल?
अब बीते युग का डेड स्टॉक।
मायका?
वही आधुनिक सुप्रीम कोर्ट,
जिसका आदेश पति के लिए
आकाशवाणी है।
पति?
सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ATM मशीन।
तलाक से पहले भी,
और तलाक के बाद भी।
और सबसे मज़ेदार शर्त—
यदि विवाद हुआ तो
पति तीन दिन तक फूल भेंट करेगा,
“Sorry” का उच्च स्वर में गान करेगा
तब तक पलंग पर तकिए की सीमा–रेखा बनी रहेगी।
सात जन्मों का सपना अब
सिर्फ़ एक साल का एग्रीमेंट है।
अगले साल नवीनीकरण न हुआ तो…
कोई चिंता नहीं,
क्योंकि कॉन्ट्रैक्टुअल लव में
👉 “एग्ज़िट ऑप्शन”
हमेशा खुला रहता है!
😃😃😃

